बाबा रामदेव की संपत्ति के सम्बन्ध में आज समाचार चैनल में खुलासा किया जा रहा था . समाचार देखने के बाद कुछ विचार और सवाल मन में चल रहे हैं -
यह समाचार कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह द्वारा बाबा रामदेव की संपत्ति की जाँच किये जाने सम्बन्धी बयान देने के दुसरे दिन बाद ही क्यों दिखाया जा रहा है ? गौरतलब है की पिछले दिनों उत्तर पूर्वी भारत के दौरे के दौरान कांग्रेस के एक सांसद द्वारा बाबा रामदेव को गाली दी गयी थी , जिसकी देश भर में तीव्र आलोचना हुई थी . इस घटना के बाद कांग्रेस के नेता उक्त सांसद के बयान से जहाँ कन्नी काट रहे थे वही कांगेस तीव्र आलोचना का शिकार हो बचाव की मुद्रा में आ गयी थी . परन्तु इसी बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह जो पिछले १ वर्ष से अपने नए- नए "विचित्र "बयानों से चर्चा में बने हुए हैं , ने फिर नया राग छेड़ते हुए बाबा रामदेव पर प्रश्न खड़ा कर दिया . उन्होंने बाबा रामदेव पर गंभीर बयान दिया . बयान का सार था जो बाबा विदेश में जमा कला धन लाये जाने की बात करता है उसकी खुद की संपत्ति की जाँच करनी चाहिए . एक मायने में यह सवाल सही है . क्योंकि भ्रस्टाचार के विषय में बोलने का हक़ उसी को है जो स्वयं इमानदार हो . परन्तु दूसरी और यह भी बात सामने आती है की बाबा के विषय में दिग्विजय सिंह तभी बयान देने पर उतावले क्यों हुए जब बाबा द्वारा इस्पष्ट रूप से भ्रस्टाचार के विषय में कांग्रेस को आरोपित किया जा रहा है . साथ ही क्या दिग्विजय सिंह जी का बयान देश के सामने कांग्रेस की ख़राब से खराब हो रही स्थिति तथा कांग्रेस के चरित्र par लग रहे भ्रस्ताछार के दाग से लोगो का ध्यान बाटने का प्रयास तो नहीं है . कोई आदमी किसी रास्ट्रीय महत्व के विषय को उठाकर देशहित में कोई काम करने को बढे उससे पहले उसी को अपराधी बनाकर लोगो की नजरो से गिराने का कही यह कायराना प्रयास तो नहीं है. एक ही विषय par बाबा और दिग्विजय सिंह द्वरा दिए गए बयान को समझने की भी आवश्यकता है . बाबा रामदेव जो बयान दे रहे हैं उस बयान के सम्बन्ध में भले ही बाबा के पास कोई साक्ष्य ना हो , परन्तु उनके बयान का समर्थन कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे से बचने किये जा रहे तमाम प्रयास से ही झलक जाता है . जहाँ न्यायलय के निर्देश के बाद भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार विदेश में कला धन रखने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं कर रही है , जिससे शंका का वातावरण बनाना स्वाभाविक है. बाबा रामदेव इन्ही विषयों को लेकर जनता के पास गए हैं. यह भी ध्यान रखना होगा की बाबा के द्वारा केवल कांग्रेस के ही लोगों का विरोध नहीं किया जा रहा है बल्कि उन सभी अनजान छिपे हुए भ्रष्टाचारियों के विषय में कहा जा रहा है जिन्होंने देश की संपत्ति विदेशी बैंक में जमा कर रखा है . और यह इत्तेफाक कहें या देश का दुर्भाग्य की उस सूचि में देश की सबसे पुरानी और तथाकथित रूप से देश को अपने उच्चतम प्रयास से आजादी दिलाने वाली कांग्रेस के नेताओं के नाम सर्वाधिक होने सम्बन्धी समाचार या अफवाह ....? का बाजार गरम है . सो बाबा का आरोप देश के लिए कोई नया नहीं तथा ना ही कपोल कल्पना है . वही दूसरी ओर मान्यवर दिग्विजय सिंह जी का बयान प्रथम तो स्पस्ट रूप से पूर्वाग्रह से ग्रस्त लगता है . कारन .. वही .. बाबा ने कांग्रेस को लपेटा तो अब उसके रक्षक को कुछ न कुछ तो कहना ही था . दूसरा दिग्विजय सिंह इस बयान के बहाने शायद यह जताने की कोशिश में लगे हैं की कांग्रेस के ऊपर शंका ना करे , वह अभी भी १९४७ की ही कांग्रेस है . जो लोग कांग्रेस पर आरोप लगा रहे है दरअसल वो सवाल पूछने के हकदार नहीं है . देश का ध्यान बाटने दिग्विजय सिंह द्वारा उठाये इन सवालो के बिच चलो उनकी मांग को मानते हुए बाबा की संपत्ति की जाँच करवा भी ली जाए तो मान्यवर दिग्विजय सिंह जी आपकी पार्टी क्या इस सवाल से बच पायेगी . आपने बाबा की संपत्ति से लेकर संघ परिवार के ऊपर तो टिपण्णी कर दी , परन्तु आपने भ्रस्टाचार के विषय में कांग्रेस के ऊपर लग रहे आरोपों के सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा यह बात तो जचती नहीं. दिग्विजय सिंह जी का बयान यकायक और कपोल कल्पना par आधारित जान पड़ता है . ये शायद वैसे ही है की चोर अपने अपराध से बचने यह मांग करने लग जाए की पहले शहर भर के चोरो को पकड़ के लाया जाये.
हालाँकि दिग्विजय सिंह जी का बयान गंभीरता से लिया जा ही नहीं चाहिए , ये उनके इछ्ले अनगिनत उत्पतंग बयान से साबित हो चूका है परन्तु गति पकड़ चुके देश शुध्ही के आन्दोलन काल में मिडिया जगत द्वारा विषय से भटकाव गले नहीं उतर रही . कहीं क्रांति एक्सप्रेस को पटरी से उतरने का यह कोई प्रयाश तो नहीं . खैर जो भी हो दो बात जो समझ में आयी पहला बाबा रामदेव को काजल की कोठारी में आने का शायद परिणाम मिल गया या इसे यूँ कहे की असली आजादी के दीवाने की शहादत की तैयारी शुरू हो गयी है . दूसरी बात भा से केवल भ्रस्टाचार नहीं होता है . भा से भटकाव भी होता है और जो भ्रस्टाचार से भी गंभीर परिणाम ला सकता है .. शायद हम उसी दौर में जा रहे हैं या ले जाए जा रहे हैं .