बुधवार, 24 अगस्त 2011
सोमवार, 22 अगस्त 2011
कविता
अच्छे बच्चे कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैं वे गेंद और ग़ुब्बारे नहीं मांगते मिठाई नहीं मांगते ज़िद नहीं करते और मचलते तो हैं ही नहीं बड़ों का कहना मानते हैं वे छोटों का भी कहना मानते हैं इतने अच्छे होते हैं इतने अच्छे बच्चों की तलाश में रहते हैं हम और मिलते ही उन्हें ले आते हैं घर अक्सर तीस रुपये महीने और खाने पर।रचनाकार: नरेश सक्सेना
कविता
फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो,
फिर मीराँ फिर प्याला हो ।
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो ।
फिर सधे पाँव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो ।
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो ।
हम घर छोड़ें या फूँक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो ।
फिर मीराँ फिर प्याला हो ।
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो ।
फिर सधे पाँव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो ।
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो ।
हम घर छोड़ें या फूँक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो ।
एकात्म सोसायटी के द्वारा बच्चों को पुस्तक वितरण
बुधवार, 17 अगस्त 2011
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