मंगलवार, 22 दिसंबर 2020
लीलागर नदी उद्गम स्थान : शिवनाथ की सहायक यह नदी कोरबा जिले के पाली विकासखण्ड के ग्राम उड़ता से निकलती है। गांव कर पटेलपारा में सत्तीदाई झाला नामक धार्मिक स्थल पर सरई पेड़ के नीचे मूल स्थान माना जाता है। हालांकि सामान्य दिन में वहां केवल नमी ही दिखाई पड़ती है। पानी मूल स्थल से लगभग 200 मीटर आगे खेत मे दिखता है। मूल स्थान से लेकर आसपास की पूरी जमीन कभी जंगल का हिस्सा रहा होगा,जिसे वर्तमान में खेत बना दिया गया है।
बुधवार, 16 दिसंबर 2020
गुरुवार, 10 सितंबर 2020
गुरुवार, 6 अगस्त 2020
मंगलवार, 28 जुलाई 2020
ज्ञान_की_बात
#ज्ञान_की_बात
एक वरिष्ठ के पास बैठा था। अच्छे व्यापारी हैं। चर्चा के बीच एक आदमी आया , दोनों के बीच खुसुर-फुसर हुई और व्यापारी ने उस आदमी को 5000 रुपया दे दिया।
...उस व्यक्ति को मैं थोड़ा बहुत जानता था। ये भी कि उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध थी।
उसके जाने के बाद मैंने व्यापारी से पूछा -
"आपने इसे 5000 रुपये दे दिए...इसकी तो कई कहानी सुन रखा हूँ।
व्यापारी ने हंसते हुए कहा
" बाबू तुमको पता नहीं मैने अपने 1 लाख रुपये बचा लिए "
..मुझे कुछ समझ नहीं आया ...
..मेरे मनोभाव को तौल कर उन्होंने आगे कहा
"देखो मुझे पता है ये आदमी 420 किस्म का है, जिसका पैसा लेता है वापस नहीं करता। कई लोगों को चुना लगा चुका है।
...ये पिछले 2-3 महीने से मेरे आगे-पीछे घूम रहा। मेरा हर काम कर रहा। कई बार तो इसने अनपेक्षित ढंग से मुझे सहयोग भी किया। इतना प्रभावित कर चुका था, मानो एक तरह से मैं ऋणी हो गया था। अब ये आदमी किसी दिन बड़ी रकम मांगता किसी भी बहाने से, तो मैं मना करने की स्थिति में नही था, ये जानते हुए भी कि वो रकम वापस होने से रहा।
सही बता रहा मैं खुद भगवान से विनती करता था कि ये मेरे पास आना छोड़ दे ....।।
...भगवान ने मेरी सुन ली। आज इसे सचमुच में पैसे की जरूरत थी। इसने मांगा और मैंने तुरंत दे दिया। मैं तो मौके की तलाश में था,कि कोई भी छोटी रकम ये लेके रफूचक्कर हो जाये ।।
...अब देखना 5000 को तो ये देगा नहीं ,इसके चक्कर मे ये मुझसे मुंह चुराएगा...भागेगा...मेरे पास आना छोड़ देगा ,और यही तो मैं चाहता भी था। अब ये कभी नहीं आएगा।
...मतलब मेरे 1लाख बच गए न !! 😊😊
...मैने उन्हें प्रणाम किया ।।
"मान गए गुरु व्यापारी बनना इतना आसान नहीं"
इससे एक और बात की सीख मिली। जीवन मे अप्रत्याशित धोखाधड़ी से हम इस कदर निराश हो जाते हैं कि ईश्वर को भी कोसने लग जाते हैं। पर हम भूल जाते हैं , कि सृष्टि रचियता ने हमे बड़ी मुसीबत से बचाने एक ऐसी- छोटी सी समस्या, जिससे निपटने हम सक्षम हैं खड़ी की है और वो भी इसलिए कि हम सचेत रहें ..हमेशा विवेक से काम करते रहें।।
...भगवान भोलेनाथ सबका कल्याण करे।
शुभ-रात्रि 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
"वो तो भला हो
छत्तीसगढ़ को एम्स मिल गया,
वरना अभी तक सब ऊपर में भौरा चला रहे होते ....."
- प्रशांत सिंह ठाकुर
सोमवार, 27 जुलाई 2020
सुखद-स्मृति
#सुखद_स्मृति
आज बाबा तुलसी जयंती है।
घर के पूजा कक्ष में विराजे श्री रामचरितमानस से जुड़ी 1997 की सुखद स्मृति मेरे साथ है । तब मैं ज्ञानदीप स्कूल जांजगीर का छात्र था। अचानक से प्राचार्य कक्ष से बुलावा आता है और कहा जाता है भाषण प्रतियोगिता है ,तुमको जाना है।
कब ?? कहां ??क्या विषय ??
अरे अभी जाना है , विषय वहीं पता चलेगा । गाड़ी आ रही होगी ,उसमे जाना है ।
..थोड़ा अटपटा तो लगा पर अभी आगे तो बहुत कुछ होना था ....
....लिंक रोड जांजगीर के पास ज्ञानदीप स्कूल के तब के ऑफिस के पास खड़ा था ...गाड़ी के इंतज़ार में !!
...अचानक पुलिस वाली गाड़ी आ गयी ...मेटाडोर ..जिसे आमतौर पर डग्गा गाड़ी भी कहते हैं।
..पटेल सर ने कहा इसी में जाना है।
मैंने कहा "कहाँ जाना है "
"जेल जाना है, वहीं कार्यक्रम है...और सुनो जीत के आना है "
- ये हमारे प्राचार्य महोदय कटकवार सर की आवाज थी ...
...फिर क्या लटक-झटक के डग्गा गाड़ी से मानो शहर भ्रमण कर पहूंच गए जेल...
...मुझे आज भी याद है मैं डग्गा गाड़ी के अंदर के साइड में बैठा था, रुमाल से मुंह छिपाके...कोई देख ले तो क्या सोचेगा।
...खैर जेल ..मतलब तबके उपजेल खोखरा पहुँचके पहले छोटे दरवाजे से फिर बड़े दरवाजे से होके अंदर...
...धकधकी ...कैदियों को देखके ।
...वैसे हमसे ज्यादा विस्मृत वो लग रहे थे।
...अंदर एक बैरक के आगे बरामदे में हमे बैठाया गया। लगभग सभी स्कूल के बच्चे आये आये थे। सामने मंच पर अधिकारी और श्रोता बने वहां के कैदी।।
...संचालक महोदय से पता चला आज 'तुलसी जयंती' है , और उन पर ही भाषण देना है।
...अब तो हड़बड़ाना स्वाभाविक था। तुलसी जयंती पर क्या बोलूं ?
...कोई तैयारी तो थी नहीं और उस टाइम मोबाइल तो था नहीं, जो गूगल सर्च कर लेता..
मन ही मन दिमाग पर जोर देकर रामायण सीरियल को याद करने लगा। बीच-बीच में अम्मा ने जो कहानी सुनाई थी वो ..!!
...कच्चा-पक्का मनमे तैयारी के लिए एक फ्रेम बना लिया।
..1-2 बच्चों के बाद मेरे बोलने की बारी आई ...
...औपचारिक शुरुवात के बाद मन मे जो तैयारी किया था , उसकी एक लाइन ही मुंह से निकला होगा कि अचानक से सामने बैठे एक कैदी पर नज़र पड़ी...वो एकटक मुझे ही देख रहा था...ध्यान से देखा तो लगभग सभी कैदी मानो कोई उम्मीद लगाए मुझे ही देख रहे थे । बाकी जो बाहर से गए थे , वो अपने मे खुसुर-फुसुर...!!
..फिर तो आगे शायद बाबा तुलसी की ही प्रेरणा रही होगी।।
...मन की सारी तैयारी किनारे और सीधा संवाद शैली में भाषण...सात्विक ..सकारात्मक !!
...उस दिन को कभी नहीं भूल सकता । वो मेरे शब्द ही नहीं थे शायद ...बस मुंह से निकल रहे थे। अजीब सी जादुई पाश में था मैं।
बाबा तुलसी दास के जीवन से एक आदमी कैसे सीख सकता है, समाज मे तुलसी प्रासंगिक क्यों हैं ..इस विषय को वास्तव में मैं वहां बोलते-बोलते ही समझ पाया। मेरे सामने मेरी सोच और पहुंच से दूर एक ऐसा वर्ग था जो अलग-अलग कारणों से जेल में था।
क्षणिक आवेश-क्रोध-बदले की भावना या तात्कालिक कारणों ने उनको वहां पहुंचाया । उन कारणों में संलग्न ऊर्जा को अगर सकारात्मक दिशा में ले जाते तो समाज को कितनों 'तुलसी' का दर्शन हो पाता ! अपराधमुक्त समाज की कल्पना साकार हो पाती।।
...उस प्रतियोगिता में मुझे प्रथम स्थान मिला। और पुरुष्कार स्वरूप सदैव पूजनीय 'श्री रामचरितमानस' का यह गुटका मिला।।
....हनुमान चालीसा तो पहले से ही पढ़ता था, इस इनाम के बाद सुंदरकांड भी पढ़ना प्रारम्भ किया।
...आप भी बाबा तुलसी को जरूर पढ़ें !!!
प्रभु श्री राम सबका कल्याण करे 🙏🙏🙏
बुधवार, 27 मई 2020
सोमवार, 25 मई 2020
रविवार, 17 मई 2020
शुक्रवार, 15 मई 2020
गुरुवार, 14 मई 2020
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