रविवार, 17 जुलाई 2016

लघु-कथा

हाल तालियों की गड़गड़ाहट से अब भी गूंज रहा था । उनके ओजश्वी भाषण से सब मन्त्र मुग्ध थे ।

" संस्कृति और चुनौतियां " इस विषय पर हृदयस्पर्शी - भावनात्मक सम्बोधन ने सबको प्रभावित किया ।।

भाषण पश्च्यात पुनः मंच पर पधारते ही लोगों ने तारीफों के पुल बाँधना शुरू किया ही था कि उनका मोबाईल बज उठा ...

" कुंडी न खड़काओ राजा ,सीधा अंदर आओ राजा ..."
.............हाल में सन्नाटा छा गया ......।।

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